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2017, VOL. 3 ISSUE 2, PART I

शहरी एवं ग्रामीण किशोरों में चिंता तथा कुंठा के मध्य सहसंबंधात्मक अध्ययन (खंडवा जिले के विशेष संदर्भ में)

Author(s): à¤¡à¤¾à¥…. जयश्री बाथम, डाॅ. छाया हार्डिया
Abstract:
किशोरावस्था परिवतर्नों तथा समस्या बाहुल्य कि अवस्था है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कुछ समय के लिए कष्ट, चिंताएं, उदासी, दुख तथा मायुसी देखी जाती है। परन्तु किशोरावस्था में चिंता प्रतिक्रिया उत्पन्न होना बहुत सामान्य है तथा उसकी आवृत्ति की आशंका भी सबसे अधिक इसी समय होती है। प्रस्तुत शोध हेतु खण्डवा शहर के शासकीय एवं अशासकीय विद्यालय के 13 से 16 वर्ष के 150 चिंता एवं 150 कुण्ठा का चयन दैव निदर्शनद विधि से किया गया। शोध हेतु डाॅ. ए. के. सिहं एवं ए. सेनगुप्ता द्वारा निर्मित चिंता मापनी परीक्षण प्रपत्र तथा डाॅ. बी.एम.दीक्षित एवं डाॅ. डी.एन. श्रीवास्तव द्वारा निर्मित नैराश्य माप परीक्षण प्रपत्र का उपयोग किया गया। प्रस्तुत शोध अध्ययन के निम्न निष्कर्ष प्राप्त हुए -1. शहरी किशोरों की चिंता तथा कुंठा में सार्थक सहसंबंध पाया गया है। इसमें शहरी किशोरों में चिंता की अपेक्षा कुंठा अधिक पायी गयी। इसका कारण है कि किशोरों में सामान्य परेशानी या डर भी धीरे-धीरे कंुठा का रूप ले लेती है। शहरी किशोरों में प्रतिस्पर्धा और शिक्षा को लकर अधिक चिंता व कुंठा पायी जाती है। 2. ग्रामीण किशोरों की चिंता तथा कुंठा में सार्थक सहसंबंध पाया गया है। इसमें ग्रामीण किशोरों में चिंता की अपेक्षा कुंठा अधिक पायी गयी। इसका कारण यह हो सकता है कि ग्रामीण किशोरों में कुंठा अधिक होने के कारण है कि उनके माता पिता का कम शिक्षित होना और आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से अपरिचित होना मुख्य है।
Pages: 546-549  |  462 Views  230 Downloads


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How to cite this article:
डाॅ. जयश्री बाथम, डाॅ. छाया हार्डिया. शहरी एवं ग्रामीण किशोरों में चिंता तथा कुंठा के मध्य सहसंबंधात्मक अध्ययन (खंडवा जिले के विशेष संदर्भ में). Int J Home Sci 2017;3(2):546-549.

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